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- Sankat Mochan Hanuman Ashtak, a powerful hymn, not only enjoys immense popularity among Lord Bajrangbali’s devotees but also holds profound significance.
- Lord Hanuman, an incarnation of Lord Shiva, possessed extraordinary strength and divine abilities from birth. However, his mischievous childhood often caused trouble for others.
- A moment of anger from a sage led to a curse upon Hanuman, causing him to forget his inherent powers.
- Responding to Mother Anjani’s prayers, the sage relented, stating that Hanuman would regain his abilities when reminded of them.
- Whenever someone invokes Hanuman’s powers, he unveils his true self, demonstrating unmatched strength and unwavering devotion to overcome even the most challenging tasks.
संकट मोचन हनुमान अष्टक एक शक्तिशाली भजन है जो भगवान हनुमान की वीरता और उनकी सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली भूमिका की प्रशंसा करता है। इस भजन के कालजयी छंदों और गहन अर्थ की खोज करें, जो हनुमान के भगवान राम और देवी सीता को विभिन्न विपत्तियों से बचाने के असाधारण कारनामों को उजागर करता है। इस अष्टक में समाहित हनुमान की भक्ति और उनकी अडिग शक्ति के आध्यात्मिक सार में गोता लगाएँ।
संकट मोचन हनुमान अष्टक में कुल आठ श्लोक हैं, जो हनुमान की शक्ति और महानता की महिमा करते हैं। इन श्लोकों में, हनुमान को एक महान योद्धा, एक वफादार भक्त और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चित्रित किया गया है।
संकट मोचन हनुमान अष्टक को अक्सर कठिन समय में पढ़ा जाता है, जब लोग किसी भी प्रकार की मुक्ति की तलाश करते हैं। इस भजन का मानना है कि हनुमान किसी भी प्रकार के कष्ट को दूर कर सकते हैं और भक्तों को उनके सभी दुखों से मुक्त कर सकते हैं।
यदि आप किसी कठिन समय से गुजर रहे हैं, तो संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना एक अच्छा विचार है। इस भजन के शक्तिशाली शब्द आपको आशा और शक्ति प्रदान कर सकते हैं, और आपको अपने कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।
|| संकट मोचन हनुमानअष्टक ||
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर ॥
Hanuman Ashtak In Hindi
हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ
|| संकटमोचन हनुमान अष्टक ||
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो |
ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो ||
देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो |
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
अर्थ – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था
जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया।
इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था।
तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो |
चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो ||
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो | को० ॥ २ ॥
अर्थ – बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे।
एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए।
तब हे हनुमान जी आपने ही ब्राह्मण का वेश बनाकर प्रभु श्रीराम का भेद जाना और सुग्रीव से उनकी मित्रता कराई।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
अंगद के सँग लेन गए सिय खोज कपीस यह बैन उचारो |
जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो ||
हेरी थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया-सुधि प्राण उबारो | को० ॥ ३ ॥
अर्थ – जब सुग्रीव ने आपको अंगद,
जामवंत आदि के साथ सीता की खोज में भेजा तब उन्होंने कहा कि जो भी बिना सीता का पता लगाए यहाँ आएगा उसे मैं प्राणदंड दूंगा।
जब सारे वानर सीता को ढूँढ़ते ढूँढ़ते थक कर और निराश होकर समुद्र तट पर बैठे थे तब आप ही ने लंका जाकर माता सीता का पता लगाया
और सबके प्राणों की रक्षा की।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो |
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ||
चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो | को० ॥ ४ ॥
अर्थ – रावण के दिए कष्टों से पीड़ित और दुखी माता सीता जब अपने प्राणों का अंत कर लेना चाहती थी
तब हे हनुमान जी आपने बड़े बड़े वीर राक्षसों का संहार किया।
अशोक वाटिका में बैठी सीता दुखी होकर अशोक वृक्ष से अपनी चिता के लिए आग मांग रही थी
तब आपने श्रीराम जी की अंगूठी देकर माता सीता के दुखों का निवारण कर दिया।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो |
लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ||
आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो | को० ॥ ५ ॥
अर्थ – जब मेघनाद ने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार किया और लक्ष्मण मूर्छित हो गए तब
हे हनुमान जी आप ही लंका से सुषेण वैद्य को घर सहित उठा लाए
और उनके परामर्श पर द्रोण पर्वत उखाड़कर संजीवनी बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो |
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ||
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो | को०॥ ८ ॥
अर्थ – रावण ने युद्ध में राम लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया। तब श्रीराम जी की सेना पर घोर संकट आ गई।
तब हे हनुमान जी आपने ही गरुड़ को बुलाकर राम लक्ष्मण को नागपाश के बंधन से मुक्त कराया
और श्रीराम जी की सेना पर आए संकट को दूर किया।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो |
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ||
जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत संहारो | को० || ७ ||
अर्थ – लंका युद्ध में रावण के कहने पर जब अहिरावण छल से राम लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक ले गयाऔर अपने देवता के सामने उनकी बलि देने की तैयारी कर रहा था।
तब हे हनुमान जी आपने ही राम जी की सहायता की और अहिरावण का सेना सहित संहार किया।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
काज किये बड़ देवन के तुम बीर महाप्रभु देखि बिचारो |
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसे नहिं जात है टारो ||
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो | को० – || ८ ||
अर्थ – हे हनुमान जी, आप विचार के देखिये आपने देवताओं के बड़े बड़े काम किये हैं।
मेरा ऐसा कौन सा संकट है जो आप दूर नहीं कर सकते।हे हनुमान जी आप जल्दी से मेरे सभी संकटों को हर लीजिये।
संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
दोहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लँगूर |
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ||
अर्थ – हे हनुमान जी, आपके लाल शरीर पर सिंदूर शोभायमान है।आपका वज्र के समान शरीर दानवों का नाश करने वाली है। आपकी जय हो, जय हो, जय हो।